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गुरुवार, 1 मई 2025
मंगलवार, 15 अप्रैल 2025
रहस्यमयी फल
एक शानदार राज भवन जो संगमरमर की तरह चमकीला भव्य डिजाइन जिसकी चमक ताजमहल की तरह है एवं खुला आसमान चारों तरफ पेड़-पौधे,फूलों से सजे बाग और भीनी- भीनी से महक जिसका फैलाव चारों तरफ हो रहा था और इन सब के बीच रौनक राज भवन के छत पर अकेले खड़ी थी कि अचानक पीछे से उसके सहपाठी दोस्त जय की आवाज आती है मैं तुम्हें सभी जगह ढूंढ रहा हूं और तुम यहां पर हो।तभी रौनक कहती है की चिकित्सालय में हमें जिस फल के बारे में बताया जा रहा था शायद उसी फल से राजकुमार ठीक हो सकेंगे तब डॉक्टर हंसते हुए बोला कि डॉक्टर होकर तुम इन सब चीजों में विश्वास करती हो पर तुम मत भूलना कि यह तुम्हारा पहला मौका है अगर इन सब चीजों के चक्कर में पड़ी तो तुम अपने साथ-साथ मेरा भी करियर खराब कर दोगी बस और कुछ दिन में राजकुमार ठीक हो जाएंगे और हम दोनों यहां से वापस चले जाएंगे। किंतु उनके आने से राज भवन में एक हफ्ते हो चुके थे। रौनक को ऐसा लगने लगा था कि राजकुमार पर कोई दवा असर नहीं हो रहा।कुछ ही देर में राज भवन में एक पार्टी का आयोजन हुआ जहां पर डॉक्टर रौनक के पिता आए हुए थे रौनक ने पिता से मुलाकात की एवं इन सब के बीच रानी अनन्या वहां आई जो राजकुमार के मां समान थी वह उनके पिता की बहन थी।राजकुमार के माता-पिता के गुजर जाने के बाद रानी अनन्या ने ही उसका ख्याल रखा था। रानी अनन्या ने रौनक के पिता से कहा आपकी बेटी बहुत ही होनहार है वह हर दर्द को चुटकी में दूर कर देती है। किन्तु राजकुमार को ठीक होने में अभी समय है इसलिए मैं चाहती हूं राजकुमार का विवाह रौनक से हो जाए ताकि वह यहां रहकर राजकुमार को जल्द से जल्द ठीक कर सके। उसके पिता ने राजभवन को देखकर हां भर दी। रौनक को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि राजकुमार मात्र 10 साल का था जिसेसे उसे हमदर्दी थी।उसकी नजर में राजकुमार सिर्फ 10 साल का बच्चा था जिसे वह किसी भी कीमत पर ठीक करना चाहती थी किंतु विवाह का यह प्रस्ताव जय को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा क्योंकि वह रौनक को पसंद करता था।धीरे-धीरे रौनक को राजभवन से लगाव हो गया।राजभवन मे कम से कम 200 कर्मचारी रहते थे सभी के अलग-अलग कार्य थे और रौनक सभी का इलाज चुटकी मे कर देती थी इसलिए सभी रौनक को पसंद करने लगे परंतु यह सब जय को पसंद नहीं आता जिससे उन दोनों मे अक्सर झगड़े होते रहते। कुछ दिनों में जय को पता चला कि राजकुमार को कोई बीमारी नहीं बल्कि नशीली पदार्थों का डोज दी जा रही है। यह बात उसने रौनक को बताना चाहा पर उसने सुनने से इनकार कर दिया। जय इन सब चीजों से थक चुका था इसलिए उसने वहां से जाने का निश्चय किया और जब वह बाहर जाने लगा तो उसे कहा गया कि जब तक राजकुमार ठीक नहीं हो जाते आप कहीं नहीं जा सकते जाने की बात रानी अनन्या को अच्छी नहीं लगी और अपने क्रोध में कहा कि यहां जो एक बार आ जाता है वह कभी जाने की जिद नहीं करता। लगता है आप पर हमारा जादू काम नहीं किया। जय को यह बात बहुत अटपटा सा लगा और उसने रानी अनन्या पर नजर रखना शुरू कर दिया। इधर रौनक महल की चकाचौंध में कहीं खो गई उसे वह सब कुछ भाने लगा और वह जय से दूर रहने लगी।एक दिन जय रानी अनन्या के कमरे में चुपके से चले गया जहां दीवारों पर छोटे-छोटे अक्षरों में लिखा था - यह जादू की दुनिया है जो मैंने बनाई है जो एक बार आ जाता है वह कभी वापस नहीं जा पाता। यह देखकर वह डर गया और चुपके से निकल गया। उसके मन में बहुत से सवाल आए परंतु एक भी जवाब न था। एकदिन उसे पता चला कि बाहर सप्ताह में एक दिन खाली ट्रक जाता है जिस पर ट्रक में नशीले पदार्थों को मंगाया जाता है।उसने मौका देखकर वहां से निकलने की योजना बनाई। जय अचानक एक दिन दौड़ता हुआ रौनक के पास आया और सब कुछ बताना चाहा पर रानी अनन्या के वहां आ जाने से उसने नशे की हालत जैसे नाटक करके वह चला गया और चुपके से वह ट्रक में बैठ गया और वहां से वह सचमुच निकल गया। उसे रौनक को साथ न ले जाने का अफसोस था पर यह आखिरी मौका था जिसे वह गंवाना नहीं चाहता था।इधर रानी अनन्या का सेवक एक अख़बार लेकर आया और उसने कहा हमसे एक बहुत बड़ी भूल हो गई हमने आपसे बिना पूछे होने वाली महारानी रौनक की तस्वीर अखबार में छपवा दी।आज के अखबार में एक व्यक्ति ने यह दावा किया है की हमारी महारानी उसकी बेटी है जो 6 महीने पहले लापता हो गई थी। यह सुनकर रानी को सेवक पर बहुत गुस्सा आया और उसने कहा कि वह लड़का कैसे भाग निकला और यह सच सबको पता चल गया कि रौनक उसकी बेटी है तो हमारा यह जादू नगर सब भंग हो जाएगा रौनक ही वह लड़की है जो वह रहस्यमय फल को ला सकती थी, इसमें वह गुण थे किंतु अब रौनक को मरना पड़ेगा।वह चाहती तो रौनक को एक झटके में मार सकती थी किंतु वह यह दिखाना चाहती थी कि उसकी होने वाले महारानी की घटना में मौत हो गई।रानी अनन्या की योजना अनुसार कुछ उपद्रवी उसके चिकित्सालय को तोड़ने लगे जिसका विरोध रौनक और उसके सहपाठियों ने किया तो उपद्रवी ने उन पर जान लेवा हमला किया एवं बम बरसाया जिससे कुछ सहपाठियों की जान चली गई और कुछ वहां से भाग निकले। रौनक भी वहां से निकल ही रही थी कि अचानक उपद्रवी ने एक और बम बरसाया जिससे चारों तरफ आग की लपटे फैल गई और सभी को लगा रौनक मर गई और तभी रानी अनन्या आई और कहां यह एक जादू नगरी है। यहां से कोई वापस नहीं जा सकता। रौनक यह सुन घबरा गई ।किसी तरह वह वहां से जान बचा कर निकली परंतु भागते-भागते वह अचानक किसी सुरंग में गिर गई जहां जाने पर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा था ।उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि यह सब उसके साथ क्या हो रहा है पर वह जान बचाने के लिए वहां छिपी रही।उसने हिम्मत जुटाकर अपने कुछ कदम आगे बढ़ाएं तो देखा की सुरंग के बाहर कुछ दूरी पर एक पेड़ है इस पर कुछ फल लगे थे वह वही फल थे जिनके बारे में चिकित्सालय में उसने पढ़ा था कि इस फल के सेवन से किसी भी रोगों से मुक्ति मिल जाती है पहले उसने सोचा कि यह फल ले जाकर रानी अनन्या को दिया जाए तो राजकुमार ठीक हो जाएंगे जिससे उन्हें छोड़ दिया जाएगा ।परंतु उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि वह बहुत डरी हुई थी और उसके समझ में भी कुछ नहीं आ रहा था कि यह कैसे जादू नगरी है।सब कुछ उसके समझ से बाहर था।दो दिन हो चुके थे उसे भूख भी लग गई थी जब वह फल तोड़ने पेड़ के पास पहुंची तो उसे एक किताब मिला जो कपड़े से लपटे हुआ था जिसके अंदर लिखा था मैं आज यह पेड़ लगा रहा हूं और मैं इसे रोज सिचता रहूंगा परंतु मैं यहां कुछ दिन तक ही जीवित रहूंगा अगर यह पेड़ लग जाए और कुछ वर्षों में यह फल देने लगे तो इस फल के खाने से वह व्यक्ति अनन्या के जादू से मुक्त हो जाएगा उसमें लिखा था की रानी अनन्या मेरी बहन है उसने अपने जादू की सभी हदें पार कर दी और उसने सभी को अपने वश में करना चाहा। उसने मेरे 2 साल के पुत्र पर जादू किया जिससे वह बीमारी से ग्रसित हो गया मैंने उसका बहुत इलाज किया परंतु वह ठीक नहीं हुआ अंत में मुझे एक वैद्य ने बताया कि इस पर जादू किया गया है जिसका तोड़ मैं तुम्हें देता हूं । उसने एक छोटा सा पौधा दिया और कहा जब यह पौधा बड़ा हो जाएगा तो इसमें कुछ फल आएंगे। इस फल के सेवन से अनन्या के जादू से किसी भी व्यक्ति को मुक्ति मिल जाएगी और तब तक तुम्हें इंतजार करना पड़ेगा। रानी अनन्या को यह बात पता चल गई और वह अपने भाई के दुश्मन बन गई जिसके कारण मैं यहां छिपा हुआ हूं।यह सब पढ़कर रौनक ने किताब को बंद करके रख दिया और उसने एक फल तोड़कर खा लिया। फल के खाने से वह बेहोश हो गई और कुछ मिनट बाद ही उसे होश आ गया और उसने कहा कि मेरा पति किस हाल में होगा मेरे दो बेटे हैं मैं वापस कैसे जाऊंगी उसे याद आ गया की जय ही उसका पति था जो जंगल की ओर घूमने निकले थे और कैसे रानी अनन्या ने जादू से उसे अपने वश में कर लिया। उसका पति जय तो वहां से भाग निकला परंतु अनन्या के जादू से वह अपने परिवार से नहीं मिल सका। रौनक का असली नाम शेफाली था उसने एक और फल तोड़ा और इधर-उधर रास्ता खोजने लगी किंतु उसे वीरान जंगल के अलावा कुछ नजर नहीं आता।वह भागते-भागते बार-बार उसी पेड़ के पास वापस आ जाती हैं। जब वह कोशिश करके थक गई तो उसने एक बार फिर उस किताब को पढ़ा जिस पर लिखा था सभी सवालों के जवाब सिर्फ यही पेड़ से मिल सकता है। उसे इस लाइन का अर्थ कुछ समझ नहीं आया और रोते हुए बोली मुझे अपने परिवार से मिलना है मुझे किसी तरह इस जादू नगरी से बाहर ले चलो। पेड़ में अनन्या के जादू का तोड़ था उसके इस सवाल से उसे रास्ता दिखाई दिया ।परंतु उसने एक आदेश और दिया राजकुमार को उसके जादू से मुक्ति दिया जाए एवं उसे बीमारी से ठीक किया जाए और अनन्या आपने सभी जादू भूल जाए। यह कहकर वह फौरन दिखाए हुए रास्ते पर चल पड़ी एवं अपने पति को वह फल खिलाए जिससे उसे भी सब कुछ याद आ गया और दोनों अपने बच्चों के साथ खुशी-खुशी रहने लगे।
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